रिजर्व बैंक उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में कमी लाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन खुदरा मंहगाई की दर दिसंबर तक तय सीमा 6 फीसदी से ऊपर बने रहने की संभावना है. इस बात का जिक्र RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे अपने एक लेख में किया.
शक्तिकांत दास ने आगे कहा कि हम मंहगाई को कम करने के लिए सही ट्रैक पर जा रहे हैं. दिसंबर के बाद हमारे अनुमानों के अनुसार मंहगाई 6 फीसदी से नीचे आने की उम्मीद है. खुदरा वस्तुओं की मंहगाई मई में मामूली रूप से कम हुई और अप्रैल में बीते आठ साल में मंहगाई सबसे उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर रही. जो कि लगातार पांचवे महीने RBI द्वारा मंहगाई की तय सीमा 6 फीसदी से ऊपर बनी रही.
उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा महंगाई वस्तुओं के सप्लाई के कारणों से प्रभावित है. फिर भी यहां मौद्रिक नीति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने कहा कि महंगाई न केवल परिवारों को बल्कि व्यवसायों को भी प्रभावित करती हैं. साथ ही भोजन, विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं इत्यादि के मूल्य को बढ़ाती हैं. वहीं जब महंगाई के अधिक रहने की उम्मीद रहती हैं, तो कंपनियां भी अपने निवेश को कम कर देती है या फिर को कुछ समय के लिए टाल देती हैं.
दास ने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है और लगातार कोरोना महामारी के नुकसान से उबर रही है.
उन्होंने रुपये के गिरती वैल्यू पर कहा कि यह गिरावट मुख्य रूप से दुनिया के विकसित देशों निर्णयों से प्रभावित है क्योंकि ये देश महंगाई से निपटने के लिए कड़े मौद्रिक नीति अपना रहे हैं और ऐसी स्थिति में, विदेशी निवेशक भी भारत जैसे उभरते हुए बाजार से अपने निवेश को निकाल रहे हैं. लेकिन उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात कही कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार देश के अल्पकालिक विदेशी ऋण की तुलना में ढाई गुना अधिक है और भारत की स्थिति अन्य देशों की तुलना में काफ़ी बेहतर है.
हाल में बढ़ाये गये रेपो रेट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में तेजी से बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए यह कदम जरूरी था और आगे आने वाले समय में ऐसे और निर्णय लिये जा सकते हैं.
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