MPC की बैठक में छाया रहा महंगाई का मुद्दा: मिनट्स ऑफ MPC मीटिंग

मंगलवार को RBI की 6 से 8 जून को हुई मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग का ब्यौरा प्रकाशित किया गया. जिसमें MPC के सभी सदस्यों के विचारों का उल्लेख किया गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि अधिक महंगाई मुख्य चिंता का विषय बनी हुई है. इसलिए महंगाई के मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए रेपो रेट में वृद्धि करने का यही सही समय है.

इसलिए मैं रेपो दर में 50 बेसिस पॉइंट की वृद्धि के लिए वोट करता हूं. जो महंगाई को कम करने में मदद करेगा और आपूर्ति की समस्या को हल करने में भी मदद करेगा. दास ने आगे कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया में महंगाई को बढ़ाने का काम किया है और आने वाले समय में भी महंगाई से राहत मिलने की गुंजाइश नही दिख रही है. इसलिए मौद्रिक नीति में परिवर्तन करना जरूरी है यह मांग को कम करने में मदद करेगा. उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास महंगाई पर काबू पाने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने की दोहरी चुनौती है.

एमपीसी के सदस्यों ने भी कहा कि इस निर्णय से मांग निश्चित रुप से कम हो जाएगी और हो सकता है कि महंगाई वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही तक RBI की तय सीमा 6 फीसदी तक आ जाये. सदस्यों ने 2023-24 में महंगाई 4 फीसदी तक होने का भी अनुमान लगाया है.
RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए यह अनुमान बिल्कुल व्यवहारिक है.

डिप्टी गवर्नर पात्रा ने आगे कहा कि अभी कुछ समय के लिए दुनिया भर में हेडलाइन मुद्रास्फीति का स्तर उच्च बना रहेगा. जिसमें खाद्य पदार्थ और ईंधन को भी जोड़ा जाता है. इसलिए देखने वाली बात मुद्रास्फीति की दिशा क्या है? न कि उसका स्तर जो की अभी कुछ समय के लिए ऊंचा बना रहेगा. पात्रा ने कहा कि यदि हेडलाइन मुद्रास्फीति वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कम होने लगती है, तो रेपो दर के परिणाम बेहतर हो सकेंगे.

MPC के अन्य सदस्य जयंत वर्मा ने कहा कि, अप्रैल और जून के बीच MPC ने रेपो रेट में 90 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की है. लेकिन इसी अवधि के दौरान वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रिजर्व बैंक की महंगाई का अनुमान 100 बेसिस पॉइंट से बढ़कर 5.7 फीसदी से 6.7 फीसदी हो गया है. इसलिए वास्तविक रेपो रेट कमोबेश वहीं बनी हुई है जितनी अप्रैल में थी. उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में महंगाई को कंट्रोल में लाने के लिए MPC की ऐसी और बैठकें होनी चाहिए.
एमपीसी के अप्रैल और मई के प्रस्तावों में मंहगाई के जोखिम को बार बार जिक्र किया गया था. जहाँ तक अनुमानों से संकेत मिलता है कि 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान महंगाई 6 फीसदी की सीमा से ऊपर रहने की संभावना है.

मीटिंग के अंत मे मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए रेपो रेट में जो बढ़ोतरी की गयी है इसका प्रमुख लक्ष्य RBI द्वारा निर्धारित महंगाई की अधिकतम तय सीमा 6 फीसदी तक लाने का प्रयास करना हैं.

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रोहित 'रिक्की'

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