आत्मनिर्भर और स्व सशक्तिकरण की मिसाल: रिक्शा चालक उर्मिला जी

उर्मिला जी एक बैट्री रिक्शा चालक हैं। जो दक्षिणी दिल्ली के गोविंदपुरी के आस पास क्षेत्र में रिक्शा चलाती हैं। इनकी उम्र लगभग 35 साल है। इनके दो बच्चे भी हैं, एक बेटा अमन, 18 साल का और बिटिया सिमरन, 14 साल की है।

         उर्मिला जी के रिक्शा चालक बनने पीछे की कहानी दुःखद है लेकिन साथ ही यह हम सब के लिए प्रेरणादायक भी है। क्योंकि उर्मिला के ऊपर दुःखों का पहाड़ तब टूट पड़ा। जब 2016 में उनके पति की असामयिक मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद परिवार पर आर्थिक संकट जूझना पड़ रहा था और इसी बीच त्रिलोकपुरी स्थित ससुराल और ननिहाल वालों ने भी इनका साथ छोड़ दिया। 

          रिश्तेदार और अन्य लोग भी उनके साथ ठीक से व्यवहार नहीं करते थे। क्योंकि उनको लगता था कि इसको और इसके बच्चों को पालना पड़ेगा। उर्मिला जी ने बताया की कई बार रिश्तेदारों ने उनके बेटे को गायब भी करवा दिया था। इसलिए उर्मिला ने रिश्तेदारों को छोड़कर अपने बच्चों के साथ गोविंदपुरी में किराये के मकान में रहने लगी। 

           लेकिन अब भी उनको एक बात सताए जा रही थी, कि अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण कैसे करेंगी। इसलिए उन्होंने पति के पहले से बचत किये हुए पैसे से एक बैट्री रिक्शा खरीदा ताकि किसी ड्राइवर को किराए पर देकर उसे चलवा सके और कुछ जरूरतें पूरी कर सकें। लेकिन ड्राइवर ख़ुद ही सारे पैसे अपने पास रख लेता था। अब उनके पास विकल्प था कि रिक्शा खुद चलायें या बेटा। उर्मिला जी को बेटे की पढ़ाई की भी चिंता थी और वह अपने बच्चों को बहुत काबिल बनाना चाहती हैं। इसलिए उन्होंने खुद रिक्शा का हैण्डल थामा और रोड पर उतर गई।

उर्मिला जी और सवारी

         अब जब उन्होंने रिक्शा चलाना शुरू किया तो उन्हें बहुत सारे ताने और उपेक्षाओं का शिकार होना पड़ा। आखिरकार हमारा समाज अभी भी पितृसत्तात्मक सोंच वाला ही तो है। लोग उनके रिक्शे पर नहीं बैठते थे। उर्मिला जी के अनुसार- ''हमारे यहाँ अभी भी वही पुरानी पितृसत्तात्मक सोच है जो कि बहुत छोटी है। कि लेडीज रिक्शा चला रही है इस पर कौन बैठेगा इत्यादि। उन्होंने कहा कि हमारे किताबों में बड़ी-बड़ी बातें लिख दी गई हैं कि महिलाओं का सम्मान करो उन्हें बराबर समझो लेकिन अभी भी कोई नहीं करता है।''

         उर्मिला जी रिक्शा चलाकर अपने छोटे से परिवार का भरण पोषण करती हैं। बच्चों को स्कूल भेजती हैं। अपने मकान का 4000 रुपये किराया देती हैं साथ ही रिक्शा पार्किंग के लिए 4500 रुपये भी भरती हैं। जब हमने उनसे पूछा कि आप कितने रुपये बचा लेती हैं तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि परिवार चल जाता है यही बहुत है।

         उर्मिला जी का जन्म दिल्ली के त्रिलोकपुरी में हुआ। उनके पिता मूलतः मध्य प्रदेश से आकर यहीं बस गए थे। पैदाइश दिल्ली में होने के कारण उन्होंने दिल्ली को काफी देखा और जाना है। उन्होंने यहीं से 10वीं कक्षा तक पढ़ाई भी की है।इसलिए पढ़ाई के महत्व को भलीभांति जानती है।

         उर्मिला जी का विवाह 17 साल की उम्र में सन 2000 में त्रिलोकपुरी स्थित एक परिवार में हुआ। हमने उनके कम उम्र में शादी के बारे में पूंछा तो उन्होंने बड़े ही सरल लहज़े में जबाब दिया कि-  ''पहले लड़कियों से सहमति भी नहीं ली जाती थी और हमसे भी नहीं पूछा गया। लेकिन आज लड़कियाँ अपने माँ बाप से बोल सकती हैं हमें अभी शादी नहीं करनी है और घरवाले मान भी जाते हैं।''

          शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए जिनमें बेटा अमन, आज 12वीं में पढ़ रहा है। बिटिया सिमरन, 9वीं में पढ़ रही है। उर्मिला जी रिक्शा चलाकर अपने परिवार के लिए आधारभूत जरूरतें पूरी कर लेती हैं लेकिन राह अब भी आसान नहीं है। यहाँ एक कहावत सटीक बैठती है कि अगर भगवान किसी को दुःख देता है तो सहन करने की भी क्षमता भी देता है।

         उर्मिला जी का दिनभर रिक्शा चलाना और घर आकर बच्चों की देखभाल करना, उनके साथ समय बिताना हम सब के लिए प्रेरणास्रोत है। क्योंकि हम कभी-कभी जिंदगी की छोटी छोटी दुर्घटनाओं से थक हारकर बैठ जाते हैं। वहीं उर्मिला जैसे लोगों का उत्साह हमारे लिए उदाहरण बनकर सामने आता है, और न जाने ऐसे ही कितनी उर्मिला हमारे आस-पास दिख सकती हैं तो हमें उनको पहचानने, उनकी हौसला अफजाई करने की जरुरत है।

रोहित कुमार पटेल (आईआईएमसी, दिल्ली)

                

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रोहित 'रिक्की'

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